ज़िन्दगी कितनी ही खुशहाल क्यों ना हो..
मज़्ज़ा तो दर्द ही देता है...
दिन गुज़रते हैं ख़ुशी से..
रातें नशीली तो दर्द से ही होती हैं...
हसने से लगती है ज़िन्दगी हलकी..
जज़्बातों का वजन तो दर्द ही एहसास कराता है...
बातें ख़ुशी ख़ुशी हवाओं में उड़ती हैं..
लिखने को शब्द तो दर्द ही दे पाता है...
ज़िन्दगी कितनी ही खुशहाल क्यों ना हो..
मज़्ज़ा तो दर्द ही देता है...
Zindagi kitni hi khushal kyun na ho..
Mazza to dard hi deta hai...
Din guzarte hain khushi se..
Raaten nasheeli to dard se hi hoti hain...
Husne se lagti hai zindagi halki..
Jazbaaton ka wajan to dard hi ehsaas krata hai...
Baaten khushi khushi hawaon mein udti hai..
Likhne ko shabd to dard hi de pata hai...
Zindagi kitni hi khushal kyun na ho..
Mazza to dard hi deta hai...
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