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Showing posts from 2016

Manmarziyan...

आज एक मुद्दत के बाद खुद के साथ बैठे हैं...  सुकून के कुछ पलों को पकडे बैठे हैं..  तनहा भले ही हैं पर तन्हाई का नामोनिशां नहीं...  कुछ यूँ माहौल बना कर बैठे हैं..  सितारों सी चमकती यह रौशनी, रूहः को छूती ये धुन...  लबों पे अंगूर का प्याला और दिल में ख्याल तुम्हारा...  आज एक मुद्दत के बाद खुद के साथ बैठे हैं...  Aaj ek muddat ke baad khud ke saath baithe hain... Sukoon ke kuch palon ko pakde baithe hain.. Tanha bhale hi hain par tanhayi ka naamonishan nhin.. Kuch yuh mahaul bna kar baithe hain.. Sitaron si chamkati yeh roshni, ruhh ko chooti huyi yeh dhun... Laboon pe angooron ka payala aur dil mein khayal tumhara...  Aaj ek muddat ke baad khud ke saath baithe hain..

Dard 2

एक दर्द बस यूँही सीने से लगाए बैठे हैं..  एक तस्वीर यूँही सजाए बैठे हैं...  हैं करीब वो और ज़िन्दगी हसीं बहुत.. फिर भी नजाने क्यों यह ख्याल लिए बैठे हैं...  चंद अल्फाज़ निकले इस जुबां से..  बस इसलिए दर्द का दामन पकडे बैठे हैं...  एक दर्द बस यूँही सीने से लगाए बैठे हैं...  Ek dard bus yunhi seene se lagaye baithe hain.. Ek tasveer yunhi sajaye baithe hain... Hain kareeb wo aur zindagi haseen bahut... Fir bhi na jane kyun yeh khayal liye baithe hain..  Chund alfaaz nikle is jubaan se..  Bus isliye dard ka daaman pakde baithe hain... Ek dard bus yunhi seene se lagaye baithe hain...

Dard

ज़िन्दगी कितनी ही खुशहाल क्यों ना हो.. मज़्ज़ा तो दर्द ही देता है...  दिन गुज़रते हैं ख़ुशी से..  रातें नशीली तो दर्द से ही होती हैं...  हसने से लगती है ज़िन्दगी हलकी.. जज़्बातों का वजन तो दर्द ही एहसास कराता है...  बातें ख़ुशी ख़ुशी हवाओं में उड़ती हैं..  लिखने को शब्द तो दर्द ही दे पाता है...  ज़िन्दगी कितनी ही खुशहाल क्यों ना हो.. मज़्ज़ा तो दर्द ही देता है...  Zindagi kitni hi khushal kyun na ho.. Mazza to dard hi deta hai... Din guzarte hain khushi se.. Raaten nasheeli to dard se hi hoti hain... Husne se lagti hai zindagi halki.. Jazbaaton ka wajan to dard hi ehsaas krata hai... Baaten khushi khushi hawaon mein udti hai.. Likhne ko shabd to dard hi de pata hai...  Zindagi kitni hi khushal kyun na ho.. Mazza to dard hi deta hai...

वक़्त

वक़्त, नाजाने कितने ही जाने अंजाने सवालों के जवाब छुपाये बैठे हो तुम... कुछ सवाल तो हम भी भूले बैठे थे, नाजाने क्यों वो सवाल याद दिला जाते हो तुम। मुस्कुराते हुए बैठे थे हम, नाजाने कहाँ से आँखों के किनारे वो एक आंसू ले आते हो तुम... वक़्त, नजाने कितने ही सवालों के जवाब छुपाये बैठे हो तुम।।। Waqt, najane kitne hi jane anjane sawalon ke jawab chupaye baithe ho tum... Kuch sawal to hum bhi bhule baithe the, najane kyun wo sawal yaad dila jate ho tum... Muskurata huye baithe the hum na jane khan se aankhon ke kinare wo ek aansu le aate ho tum.. Waqt, najane kitne hi sawalon ke jawab chupaye baithe ho tum!!!