A few lines i wrote a long time back on a piece of paper which keeps coming back to my mind and i thought before i forget it i should digitalise it.. Probably that what Jagjit singh meant when he said "Mera geet amar kar do" :P
बस युंही बैठे रहो साथ और उम्र बीत जाये..ना तुम कुछ कहो, ना हम और फिर à¤ी दिल की बात हो जाये...दो चार पल सुकून के जीलो, थोड़ा हस लो, थोड़ा मुस्कुरा लो.घड़ियाँ यह इत्मीनान की फिर हो ना हों, लम्हा यह तन्हा फिर हो ना हों..बस युंही बैठे रहो साथ और उम्र बीत जाये...
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